महात्मा गांधी का इतिहास 1869 | जन्म 2 अक्तूबर, पोरबन्दर, काठियावाड़ में - माता पुतलीबाई, पिता करमचन्द गांधी। |
1876 | परिवार राजकोट आ गया, प्राइमरी स्कूल में अध्ययन, कस्तूरबाई से सगाई। |
1881 | राजकोट हाईस्कूल में पढ़ाई। |
1883 | कस्तूरबाई से विवाह। |
1885 | 63 वर्ष की आयु में पिता का निधन। |
1887 | मैट्रिक पास की, भावनगर के सामलदास काॅलेज में प्रवेष लिया, एक सत्र बाद छोड़ दिया। |
1888 | प्रथम पुत्र सन्तान का जन्म, सितम्बर में वकालत पढ़ने इंग्लैण्ड रवाना। |
1891 | पढ़ाई पूरी कर देष लौटे, माता पुतलीबाई का निधन, बम्बई तथा राजकोट में वकालत आरम्भ की। |
1893 | भारतीय फर्म के लिये केस लड़ने दक्षिण अफ्रीका रवाना हुए। वहाँ उन्हें सभी प्रकार के रंग भेद का सामना करना पड़ा। |
1894 | रंगभेद का सामना, वहीं रहकर समाज कार्य तथा वकालत करने का फैसला - नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना की। |
1896 | छः महीने के लिये स्वदेष लौटै तथा पत्नी तथा दो पुत्रों को नेटाल ले गए। |
1899 | ब्रिटिष सेना के लिये बोअर युद्ध में भारतीय एम्बुलेन्स सेवा तैयार की। |
1901 | सपरिवार स्वदेष रवाना हुए तथा दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को आष्वासन दिया कि वे जब भी आवष्यकता महसूस करेंगे वे वापस लौट आएंगे। |
1901 – 1902 | देष का दौरा किया, कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेषन में भाग लिया तथा बम्बई में वकालत का दफ्तर खोला। |
1902 | भारतीय समुदाय द्वारा बुलाए जाने पर दक्षिण अफ्रीका पुनः वापस लौटे। |
1903 | जोहान्सबर्ग में वकालत का दफ्तर खोला। |
1904 | ‘इण्डियन ओपिनियन’ साप्ताहिक पत्र का प्रकाषन आरम्भ किया। |
1906 | ‘जुलु विद्रोह’ के दौरान भारतीय एम्बुलेन्स सेवा तैयार की - आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। एषियाटिक आॅर्डिनेन्स के विरूद्ध जोहान्सबर्ग में प्रथम सत्याग्रह अभियान आरम्भ किया। |
1907 | ‘ब्लैक एक्ट’-भारतीयों तथा अन्य एषियाई लोगों के ज़बरदस्ती पंजीकरण के विरूद्ध सत्याग्रह। |
1908 | सत्याग्रह के लिये जोहान्सबर्ग में प्रथम बार कारावास दण्ड आन्दोलन जारी रहा तथा द्वितीय सत्याग्रह में पंजीकरण प्रमाणपत्र जलाए गए। पुनः कारावास दण्ड मिला। |
1909 | जून - भारतीयों का पक्ष रखने इंग्लैण्ड रवाना, नवम्बर - दक्षिण अफ्रीका वापसी के समय जहाज़ में ‘हिन्द-स्वराज’(पुस्तक) लिखी। |
1910 | मई - जोहान्सबर्ग के निकट टाॅल्स्टाॅय फार्म की स्थापना। |
1913 | रंगभेद तथा दमनकारी नीतियों के विरूद्ध सत्याग्रह जारी रखा - ‘द ग्रेट मार्च’ का नेतृत्व किया जिसमें 2000 भारतीय खदान कर्मियों ने न्यूकासल से नेटाल तक की पदयात्रा की। |
1914 | स्वदेष वापसी के लिये जुलाई में दक्षिण अफ्रीका से रवानगी। |
1915 | 21 वर्षों के प्रवास के बाद जनवरी में स्वदेष लौटे। मई में कोचरब में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की जो 1917 में साबरमती नदी के पास स्थापित हुआ। |
1916 | फरवरी में बनारस हिन्दू विष्वविद्यालय में उद्घाटन भाषण। |
1917 | बिहार में चम्पारण सत्याग्रह का नेतृत्व। |
1918 | फरवरी - अहमदाबाद में मिल मज़दूरों के सत्याग्रह का नेतृत्व तथा मध्यस्थता द्वारा हल निकाला। |
1919 | राॅलेट बिल पास हुआ जिसमें भारतीयों के आम अधिकार छीने गए - विरोध में उन्होंने पहला अखिल भारतीय सत्याग्रह छेड़ा, राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान भी सफल हुआ। अंग्रेजी साप्ताहिक पत्र ‘यंग इण्डिया’ तथा गुजराती साप्ताहिक ‘नवजीवन’ के संपादक का पद ग्रहण किया। |
1920 | अखिल भारतीय होमरूल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुए - क़ैसर-ए-हिन्द पदक लौटाया - द्वितीय राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया।/td> |
1921 | बम्बई में विदेषी वस्त्रों की होली जलाई। साम्प्रदायिक हिंसा के विरुद्ध बम्बई में 5 दिन का उपवास। व्यापक अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया। |
1922 | चैरी-चैरा की हिंसक घटना के बाद जन-आन्दोलन स्थगित किया। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला तथा उन्हांेने स्वयं को दोषी स्वीकार किया। जज ब्रूमफील्ड ने छः वर्ष कारावास का दण्ड दिया। |
1923 | ‘दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह’ पुस्तक तथा आत्मकथा के कुछ अंष कारावास के दौरान लिखे। |
1924 | साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास रखा - बेलगाम कांग्रेस अधिवेषन के अध्यक्ष चुने गए। |
1925 | एक वर्ष के राजनैतिक मौन का निर्णय। |
1927 | सरदार पटेल के नेतृत्व में बारदोली सत्याग्रह । |
1928 | कलकत्ता कांग्रेस अधिवेषन मेें भाग लिया-पूर्ण स्वराज का आह्वान। |
1929 | लाहौर कांग्रेस अधिवेषन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया - ‘पूर्ण स्वराज’ के लिये राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ। |
1930 | ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह - साबरमती से दांडी तक की यात्रा का नेतृत्व। |
1931 | गांधी इरविन समझौता - द्वितीय गोलमेज़ अधिवेषन के लिये इंग्लैण्ड यात्रा - वापसी में महान् दार्षनिक रोमां रोलां से भेंट की। |
1932 | यरवदा जेल में अस्पृष्यों के लिये अलग चुनावी क्षेत्र के विरोध में उपवास - यरवदा पैक्ट को ब्रिटिष अनुमोदन तथा गुरूदेव की उपस्थिति में उपवास तोड़ा। |
1933 | साप्ताहिक पत्र ‘हरिजन’ आरम्भ किया - साबरमती तट पर बने सत्याग्रह आश्रम का नाम हरिजन आश्रम कर दिया तथा उसे हमेषा के लिए छोड़कर - देषव्यापी अस्पृष्यता विरोधी आन्दोलन छेड़ा। |
1934 | अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ की स्थापना की। |
1935 | स्वास्थ्य बिगड़ा - स्वास्थ्य लाभ के लिये बम्बई आए। |
1936 | वर्धा के निकट सेगाँव का चयन जो बाद में सेवाग्राम आश्रम बना। |
1937 | अस्पृष्यता निवारण अभियान के दौरान दक्षिण भारत की यात्रा। |
1938 | बादषाह ख़ान के साथ एन. डब्ल्यू. एफ. पी. का दौरा। |
1939 | राजकोट में उपवास - सत्याग्रह अभियान। |
1940 | व्यक्तिगत सत्याग्रह की घोषणा - विनोबा भावे को उन्होंने पहला व्यक्तिगत सत्याग्रही चुना। |
1942 | - ‘हरिजन’ पत्रिका का पन्द्रह महीने बाद पुनः प्रकाषन - क्रिप्स मिषन की असफलता
- भारत छोड़ो आन्दोलन का राष्ट्रव्यापी आह्वान
- उनके नेतृत्व में अन्तिम राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह।
- पूना के आगाखाँ महल में बन्दी जहाँ सचिव एवं मित्र महादेव देसाई का निधन हुआ।
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1943 | वाइसराॅय तथा भारतीय नेताओं के बीच टकराव दूर करने के लिये उपवास। |
1944 | 22 फरवरी - आग़ा ख़ाँ महल में कस्तूरबा का 62 वर्ष के विवाहित जीवन के पश्चात् 74 वर्ष की आयु में निधन। |
1946 | ब्रिटिष कैबिनेट मिषन से भेंट - पूर्वी बंगाल के 49 गाँवों की षान्तियात्रा जहाँ साम्प्रदायिक दंगों की आग भड़की हुई थी। |
1947 | - साम्प्रदायिक षान्ति के लिये बिहार यात्रा।/li>
- नई दिल्ली में लार्ड माउन्टबैटन तथा जिन्ना से भेंट
- देष विभाजन का विरोध
- देष के स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 1947 को कलकत्ता में दंगे षान्त करने के लिये उपवास तथा प्रार्थना
- 9 सितम्बर 1947 को दिल्ली में साम्प्रदायिक आग से झुलसे जनमानस को सांत्वना देने पहुँचे।
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1948 | - देष में फैली साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में दिल्ली के बिड़ला भवन में 13 जनवरी से 5 दिनों तक चला जीवन का अंतिम उपवास।
- 20 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा में विस्फोट।
- 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे द्वारा षाम की प्रार्थना के लिये जाते समय बिड़ला हाउस में हत्या।
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