स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ के मौके पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा द्वितीय ई क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन का विषय था-भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में महात्मा गांधी का प्रभाव. समिति द्वारा यह कार्यक्रम गुजरात विद्यापीठ के गांधी अध्ययन और शांति शोध केंद्र और बिरला कॉलेज कल्याण के सहयोग से आयोजित किया गया था. सम्मेलन में समिति के “अहिंसक संचार ” पाठ्यक्रम के गुजराती संस्करण का शुभारम्भ भी किया गया.
इस ई सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार प्रकट करते हुए गुजरात विद्यापीठ के कुलपति श्री राजेंद्र खिमानी ने कहा कि आज़ादी के आन्दोलन में महात्मा गांधी का विशेष योगदान था. यह उन्हीं का प्रभाव था कि आम जनमानस ने अहिंसा और शान्ति के पथ पर कदम बढाते हुए आज़ादी प्राप्त की.
गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति की कार्यकारी परिषद् की सदस्या श्रीमती रजनी बक्षी ने कहा कि प्रेम अहिंसा का प्रमुख रूप है. गांधीजी ने प्रेम के कई रूपों पर बात की. हमें प्रेम की भावनाओं को सदैव जीवित रखने का प्रयास रखना है. क्योंकि घृणा से हम किसी भी समस्या का हल नहीं पा सकते. आपसी सद्भावना, प्रेम और अहिंसा ये हमारे आज़ादी के आन्दोलन की नींव का पत्थर रहें हैं. समिति निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान ने कहा की स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधीवाद का पूरा प्रभाव रहा. उनकी अहिंसा की अवधारणा आज भी प्रासंगिक है. सम्मेलन में बीके बिरला कॉलेज के निदेशक डॉ नरेश चन्द्र ने भी अपने विचार रखे. समिति के कार्यक्रम अधिकारी डॉ वेदाभ्यास कुंडू ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन मुंबई विश्वविद्यालय की डॉ नमिता निम्बालकर ने किया.
द्वितीय ई सम्मेलन का आयोजन
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